भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चहती-फुदकती चिड़या / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:48, 6 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>आज सुबह पेड़ की डाल पर फिर चहकीं चिड़ियां सुना मैंने पेड़ की नं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज सुबह
पेड़ की डाल पर
फिर चहकीं चिड़ियां
सुना मैंने
पेड़ की
नंगी डालों पर
फुदक रही थीं चिड़िया
देखा मैंने
खाली कनस्तर
ठण्डा चूल्हा
प्रश्नचिह्न बनीं आंखें
मन को छीलने वाली
चुप्पी में गूंजती
अनिवार्य आवश्यकताओं की सूची

बुझा है मन मेरा
पेड़ नहीं है हरा
फिर भी
चहक-फुदक रही हैं-
चिड़िया
खुद देख समझ कर
बच्चों को दिखलाता हूं-
देखो, कैसे फुदक रही है चिड़िया !
देखो, कैसे फुदक रही है चिड़िया !