भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेतावनी / मारकंडेय शायर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:04, 5 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मारकंडेय शायर |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो करते हो मुझ पर सितम, देख लेना,
अलम का नतीजा अलम, देख लेना।

लगें वां मुकाबिल, अगर गन मशीनें,
अड़ा देंगे छाती को हम, देख लेना।

अजी भूमि भारत की ख़ातिर मरेंगे,
हटेगा न पीछे क़दम, देख लेना।

रहे मांग स्वाधीनता की बराबर,
है जब तक मेरे दम में, दम देख लेना।

ठनी जो है दिल में, ठनी ही रहेगी,
अगर जाएं मुल्के-अदम, देख लेना।

अहिंसा न छोड़ेंगे, ऐ मारकंडे।
मुझे तो है गंगा-कसम, देख लेना।

रचनाकाल: सन 1930