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चेतावनी / शब्द प्रकाश / धरनीदास

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अधो-मुख वास दस मास अवकाश नहि, जठरयाँ अनल की आँचवारी।
बालपन बीतिगो तरुनपन तेजमो, परे विष स्वाद धनधाम नारी॥
वृद्धपन आइगो चौंकि चित चेतभां, बिना जगदीश यमत्रास भारी।
बूझि मन देखु तोहि सूझि कछु पर्त नहि, धरनि तजि चलैगो हाथ झारी॥8॥