Last modified on 31 अक्टूबर 2010, at 19:09

छुपा है दिल में क्या उनके, ये सब हम जान लेते हैं / ममता किरण

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:09, 31 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ममता किरण }} {{KKCatGhazal}} <poem> छुपा है दिल में क्या उनके, य…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

छुपा है दिल में क्या उनके, ये सब हम जान लेते हैं
मुखौटा ओढ़ने वालों को हम पहचान लेते हैं

निखर जाऊँ मैं तप कर जिस तरह सोना बने कुंदन
परीक्षा मुश्किलों के रूप में भगवान लेते हैं

जो राहों में तेरी यादें बहुत टकराती हैं मुझसे
तो रुक कर ख़ाक तेरे कूचे की हम छान लेते हैं

जो बोले है मेरे छत की मुंडेरों पर कोई कागा
किसी अपने के घर आने की आहट जान लेते हैं

मुझे मालूम है वो पीठ पीछे करते हैं साज़िश
मगर हम हैं कि उनको फिर भी अपना मान लेते हैं