भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जद-जद पड़ै काळ / नीरज दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:58, 8 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नीरज दइया |संग्रह=साख / नीरज दइया }} [[Category:मूल राजस्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जद-जद पड़ै काळ
बिलखै भूखा टाबर
बै सीखै रोवणो
अर रोवतां-रोवतां
भूल जावै
रोवण री आंट!

जद-जद पड़ै काळ
बधै टाबरां री उमर
बै भूल परा भूख
माइतां सागै सीखै तोड़णा-
काळ रा दिन
बिखै री रातां!