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जब भी जलेगी शम्अ तो परवाना आएगा / हकीम 'नासिर'

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जब भी जलेगी शम्अ तो परवाना आएगा
दीवाना ले के जान का नज़राना आएगा

तुझ को भुला के लूँगा मैं ख़ुद से भी इंतिक़ाम
जब मेरे हाथ में कोई पैमाना आएगा

आसान किस क़दर है समझ लो मिरा पता
बस्ती के बाद पहला जो वीराना आएगा

उस की गली में सर की भी लाज़िम है एहतियात
पत्थर उठा कि हाथ में दीवाना आएगा

‘नासिर’ जो पत्थरों से नवाज़ा गया हूँ मैं
मरने के बाद फूलों का नज़राना आएगा