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जमाना क्यूं उसे कहता भला है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"

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ज़माना क्यूं उसे कहता भला है
अगर वो आदमी इतना बुरा है

नगर में आग बरसी ही नहीं तो
धुआं आखिर उठा तो क्यूं उठा है

उजाले उसको ही रौशन हैं करते
हमेशा जो अंधेरो से लड़ा है

तेरी तस्वीर जब भी देखता हूं
मुझे लागता है मेरा तू खुदा है

पता घर का न पूछा नाम उसका
ये चिठ्ठी कौन"आज़र" दे गया है