भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जय-जय शीतला माई की जय-जय बोलो / बुन्देली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:49, 27 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जय-जय शीतला माई की जय-जय बोलो
गंगा के नीर मैया कैसे चढ़ाय दूं
मछली ने लियो है जुठार, की जय-जय बोलो
मिठया के पेड़ा मैया कैसे चढ़ाय दूं।
चींटी ने लिये हैं जुठार की जय-जय बोलो
बगिया के फूल मैया कैसे चढ़ाय दूं
भौंरे ने लिये हैं जुठार, की जय-जय बोलो
घर की रसोई मैया कैसे चढ़ाय दूं
बालक ने लिये हैं जुठार, की जय-जय बोलो