भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी / मगही

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:23, 28 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatMagahiR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जरा बेनिया<ref>पंखी</ref> डोलइहो<ref>डुलाना</ref> लाल, मुझे लागि गरमी।
अलग होके सोइहो<ref>सोना</ref> लाल, मुझे लागि गरमी।
करवट<ref>दाहिने या बायें बाजू लेटना; इस तरह लेटने की स्थिति</ref> होके सोइहो लाल, मुझे लागि गरमी॥1॥
टीके की झलमल, मोतिये की गरमी।
जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी।
पयताने<ref>पलंग या खाट का वह भाग, जिधर पैर रहता है</ref> होके सोइहो लाल, मुझे लागि गरमी॥2॥
बेसर की झलमल, चुनिये की गरमी।
जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी।
जरा पंखा डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी॥3॥
बाली की झलमल, झुमके की गरमी।
जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी।
सिरहाने<ref>खाट या पलंग का वह हिस्सा, जिधर सिर रहता है</ref> होके सोइहो लाल, मुझे लागि गरमी॥4॥
कँगन की झलमल, पहुँची की गरमी।
करबट होके सोइहो लाल, मुझे लागि गरमी।
जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी॥5॥
सूहे की झलमल, छापे की गरमी।
जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी।
लाड़ो के लागि गरमी॥6॥

शब्दार्थ
<references/>