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ज़ख़्म / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

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डॉक्टर ने पूछा —
कविता करते हो?

मैंने कहा — हाँ, लेकिन
आपने कैसे पहचाना?

वे बोले —
ज़ख़्म अब तक भर
जाना चाहिए था।
कविता लिखना बन्द कर दो
यही इलाज है ज़ख़्म का।

मैंने कहा —
रहने दीजिए, डॉक्टर
मुझे इस ज़ख़्म को सँजोकर रखना होगा।

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत