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ज़ख्म / रात सारी बेकरारी में गुज़ारी
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रचनाकार: ?? |
रात सारी बेक़रारी में गुज़ारी, सौ दफ़ा दरवाजे पे गई
तू ना था वहाँ, खड़ी घड़ी-घड़ी याद थी तेरी
ओढ़ लूँ मैं प्यार तेरा, पहन लूँ मैं प्यार तेरा
फिर सनम आना
इसके पहले नहीं ठहरे रहना वहीं
आ जाना अभी नहीं अभी नहीं जब मैं कहूँ
रास्ते में जा मिलूँ या रास्ता देखूँ मैं तेरा
क्या करूँ सजना
बेक़ली का समाँ दिल में कितने गुमाँ
फिर कोई भुला ना दे तुझे मेरा नाम-पता