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ज़िन्दगी का पेड़ गिर पड़ा / एलिस वॉकर / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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ज़िन्दगी का पेड़
एक छोटे से घरौन्दे पर गिर पड़ा ।
मैंने सोचा —
कितना बड़ा है वह !
लेकिन ऐसा नहीं है ।
कहीं दूर मुझे अब भी पहाड़ियाँ दिखती हैं ।
सामने दूर तक पानी का बहाव देखना बेमिसाल है ।
मेरी नाव शानदार है और मैं कप्तान हूँ उसकी;
पाल फहराना जो मैंने सीखा नहीं।
लेकिन मैं भटकती हूँ
ज़िन्दगी के पेड़ के बिना,
जो गिर पड़ी है
बिना किसी सलीके या रहम के
इस छोटे से घर पर ।
हटे तानाशाह की ख़ातिर
हमेशा के लिए ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य