भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़िन्दगी दुश्वारियों का नाम हो जैसे / चंद्रभानु भारद्वाज

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:57, 8 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रभानु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> फूस पर चि…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फूस पर चिनगारियों का नाम हो जैसे
ज़िन्दगी दुश्वारियों का नाम हो जैसे

पेड़ अब होने लगा है छाँह के काबिल
पर तने पर आरियों का नाम हो जैसे

आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाएं
प्यार ही सिसकारियों का नाम हो जैसे

कुर्सियों पर लिख रहे हैं लूट के किस्से
हर डगर पिंडारियों का नाम हो जैसे

नाम अपना भी वसीयत में लिखा था कल
आज सत्ताधारियों का नाम हो जैसे

दुश्मनी तो दुश्मनी है क्या कहें उसकी
यारियाँ गद्दारियों का नाम हो जैसे

लोग 'भारद्वाज' कहते हों भले जनपथ
पर वहाँ जरदारियों का नाम हो जैसे