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ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम लड़ो / शशिप्रकाश

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ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम लड़ो,
तुम लड़ो, तुम लड़ो
तुम लड़ो कि चहचहा उठें हवा के परिन्‍दे
तुम लड़ो कि आसमान चूम ले ज़मीन को
तुम लड़ो कि ज़िन्दगी महक उठे
और फिर,
प्‍यार के गीत गा उठें सभी
उड़ चलें असीम आसमान चीरते ।

ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम उठो,
तुम उठो, तुम उठो
तुम उठो, उठो कि उठ पड़ें असंख्‍य हाथ
चल पड़ो कि चल पड़ें असंख्‍य पैर साथ
मुस्‍कुरा उठे क्षितिज पे भोर की किरन
और फिर,
प्‍यार के गीत गा उठें सभी
उड़ चलें असीम आसमान चीरते ।

ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम बहो,
तुम बहो, तुम बहो
रुधिर प्रवाह की तरह बहो कि लालिमा
मिटा सके कलंक की सितम की कालिमा
बहो कि ख़ुशी कै़द कभी की न जा सके
और फिर,
प्‍यार के गीत गा उठें सभी
उड़ चलें असीम आसमान चीरते ।

ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम जलो,
तुम जलो, तुम जलो
तुम जलो कि रौशनी के पंख फड़फड़ा उठें
कुचल दिए गए दिलों के तार झनझना उठें
सुषुप्‍त आत्‍मा जगे, गरज उठे
और फिर,
प्‍यार के गीत गा उठें सभी
उड़ चलें असीम आसमान चीरते ।

ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम रचो,
तुम रचो, तुम रचो
तुम रचो हवा, पहाड़, रौशनी नई
ज़िन्दगी नई महान आत्‍मा नई
साँस-साँस भर उठे अमिट सुगन्‍ध से
और फिर,
प्‍यार के गीत गा उठें सभी
उड़ चलें असीम आसमान चीरते ।