भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जायसी री पीड / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:23, 19 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री आँख सूं / सांवर दइया }} [[Ca…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

म्हैं काळो
म्हैं काणो
म्हैं कोझो

थांनै हंसता देखूं तो लखावै
हाल मरियो कोनी
शेरशाह

म्हैं माटी हो कदै ई
इण गय सूं पैली
जाणता हुवोला थे ई
रचना पड़रूप हुवै सिरजणियै रो

म्हारी कणाई
म्हारी कोजाई
उणियारो है बींरो ई !