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जेमन बैठे जनक जू के द्वारे / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जेमन बैठे जनक जू के द्वारे,
दशरथ ले कें बरात मोरे लाल
चांदी के पाटा बैठन के लाने,
अंगना में आसन लगाये मोरे लाल।
सोने की झाड़ी गंगाजल पानी,
पीवें के लाने भराये मोरे लाल
पतरी और दोनों में सोने की सींकें
राजा जनक लगाये मोरे लाल
रुच-रुच कर भोजन परोसे जनक जी,
हँस-हँस करें जेवनार मोरे लाल।
छतों अटारी महलों में अपने
सीता की सखियों की भीड़ मोरे लाल।
सारी और सरहज गारी गावें,
महलन बीच उछाह मोरे लाल। जेमन...