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जो आँसू पीके हँसना जानता है / अनिरुद्ध सिन्हा

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जो आँसू पीके हँसना जानता है
मुहब्बत को वही पहचानता है

पड़े हैं पाँव में जिसके भी छाले
सफ़र की वो हक़ीक़त जानता है

भरम कल टूट जाएगा तुम्हारा
फ़रिश्ता कौन किसको मानता है

वो किसकी याद लेकर बस्तियों में
गली की ख़ाक हर दिन छानता है

शहर में फिर रहा हूँ अजनबी सा
कोई मुझको कहाँ पहचानता है