झानू बुआ जंगली सूअरों से फ़सल की रखवाली करती है / अनुज लुगुन
झानू बुआ
अपने भाई के हाट चले जाने पर
फ़सल की रखवाली करती है
उसका भाई घुमन्तू है
जंगल-जंगल, गाँव-गाँव घूमता है
जतरा नाचने, माँदल बजाने से पहले
जंगली सूअरों से बचाने के लिए
वह फ़सल के चारों और फन्दा डाल देता है
जब वह घर पर नहीं होता है तो
झानू बुआ के हाथ में होती है ज़िम्मेदारी
बूढ़ी माँ खेत की ओर जाने से पहले
उसे याद दिलाती है कि
वह अपना धनुष और कुल्हाड़ी लेना ना भूले
झानू बुआ अपनी धुन में
एक टीले पर बैठकर अपने प्रिय के लिए कोई प्रेम गीत गुनगुनाती है
और तभी सूअरों का झुण्ड खेत पर धावा बोलता है
झानू बुआ घात लगाती है और
भागते हुए सुअर फन्दे में फँस जाते हैं
अगले दिन फ़सल के तैयार हो जाने पर
वह अपने भाई के साथ फ़सल काट कर घर ले आती है,
झानू बुआ मेरी बुआ है और
झानू बुआ का भाई मेरा पिता
इन दोनों की बूढ़ी माँ मेरी दादी और
मेरी दादी मेरे दादू की साथी है
हम सब साथी हैं और
हम जंगल में उगे पेड़ हैं
हमारे आगे, हमारे पीछे
हमारे दाएँ और हमारे बाएँ पेड़ ही पेड़ हैं
ये पड़ोसी पेड़ हमारे साथी हैं
और हम सब समूह हैं,
झानू बुआ जंगली सूअरों से फ़सल की रखवाली करती है
और उसका भाई गीत गाता है।
रचनाकाल : 27/3/13 रात 12.56