भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तटस्थ के प्रति / गोरख पाण्डेय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:54, 30 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरख पाण्डेय |संग्रह=जागते रहो सोने वालो / गोरख पाण्डे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


चैन की बाँसुरी बजाइये आप

शहर जलता है और गाइये आप

हैं तटस्थ या कि आप नीरो हैं

असली सूरत ज़रा दिखाइये आप


(रचनाकाल :1978)