भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तितली उड़ी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:55, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तितली उड़ी हवा में जैसे
उछले रंग-बिरंगे फूल
बैठ गयी वह लो गुलाब पर
दर है नहीं चुभेंगे शुल
नायलोन जैसे हल्के हैं
छापे हुए हैं इसके पर
धीरे-धीरे हिलाते हैं जब
लगते है बेहद सुन्दर
एक फूल पर बैठी क्षण भर
वह लो! उड़कर चली-चली
हवामहल की परी कहो तुम
रंग-बिरंगी भली-भली