भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तिमीलाई नदेख्दा यस्तो लाग्छ, प्रत्येक क्षण देखेझैँ / सरुभक्त

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:51, 10 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरुभक्त |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNepaliRach...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तिमीलाई नदेख्दा यस्तो लाग्छ, प्रत्येक क्षण देखेझैँ
मनको अनन्त पानीभरि प्रेमपत्र सधैँ लेखेझैँ
झरीका बादलहरू कति आए अनि कति गए
हिमालझैँ ठडिई मनका विषादहरू सबै छेकेझैँ।