भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम सब शून्य कर दोगे / अनामिका अनु

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:56, 22 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनामिका अनु |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब भी
मेरे प्रेम पर चर्चा हो
तुम मेरे नाम के बग़ल में
अपना नाम लिख देना,
मेरे पापों की गणना हो,
मेरे नाम के आगे
अपना नाम लिख देना ।

तुम तो शून्य हो न !
बग़ल में रहे तो दहाई कर दोगे,
आगे लग गए तो इकाई कर दोगे,

गुणा भी कर दिया किसी ने
तो क्या मसला है,
तुम सब शून्य कर दोगे ।