भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुमने घनश्याम अधीनों को तारा होगा / बिन्दु जी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:47, 14 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिन्दु जी |अनुवादक= |संग्रह=मोहन म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमने घनश्याम अधीनों को तारा होगा।
तो कभी हमें भी तारने का सहारा होगा॥
हम जो मशहूर हैं पापी तो तुम पतित पावन।
तुम न होगे तो भला कौन हमारा होगा॥
गम न होगा हमे बर्बाद या पामाल करो।
नाम हर हाल में बदनाम तुम्हारा होगा॥
क्यों हमारी भी कुटिलता को सुधारोगे भला॥
गर्चे कुब्जा कि कुटिलता को सुधार होगा॥
माना कि सरकार कि आँखों में अनेकों हैं अधम।
‘बिन्दु’ कि आँख के कोने में गुजरा होगा॥