भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारा हाथ / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:12, 5 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय चोरमारे |अनुवादक=टीकम शेखाव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं लहरों से खेल रहा हूँ
खड़ी हो तुम किनारे पर
मैं पुकार रहा हूँ तुम्हें
तब भी तुम बहुत दूर !

लहरें आ रही थी
जा रही थी
अचानक आई
एक खतरनाक लहर
दम घुटा
फिसल गई पैरों तले की रेत
केवल तुम्हारा धुन्धला-सा चेहरा
तैरता रहा आँखों के आगे

लहर लौट चुकी थी
कस कर पकड़े मेरा हाथ
खड़ी तुम, किनारे पर।

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत