भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम्हारी आँखें समुद्री ताल में झिलमिलता चाँद हैं / अरनेस्तो कार्देनाल / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:59, 24 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरनेस्तो कार्देनाल |अनुवादक= मंग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तुम्हारी आँखें
समुद्री ताल में
झिलमिलता चाँद हैं,
और तुम्हारे केश
बिना चाँद की रात के
आसमान में काली लहरें
और एक उलूक
उड़ रहा है
काली रात में।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल