भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारी प्रफुल्ल कोमलता ने / ओसिप मंदेलश्ताम

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:24, 12 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम |संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ओसिप मंदेलश्ताम  » संग्रह: तेरे क़दमों का संगीत
»  तुम्हारी प्रफुल्ल कोमलता ने

तुम्हारी

प्रफुल्ल कोमलता ने

मुझे व्याकुल किया

थोड़ा-सा


क्यों

उदास बातें

करती हो तुम

तब

जब

तुम्हारी आँखें

चमकती हैं

ऎसे

जैसे

भरे-पूरे दिन में

जले मोमबत्ती


भरे-पूरे दिन में

वहाँ दूर

बहुत दूर तक


मिलन की स्मॄतियाँ

झुके हुए कंधे

और एक आँसू

जो

इस कोमलता को

तुम्हारी

और बढ़ाता है


(रचनाकाल : 1909)