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तू ठीक कहता है अब मैं भी भूल जाऊँ तुझे / कांतिमोहन 'सोज़'
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तू ठीक कहता है अब मैं भी भूल जाऊँ तुझे ।
मज़ीद ये भी बता किस तरह भुलाऊँ तुझे ।।
मुझे ये डर है तमाशा कहीं न बन जाए
मैं दिल के दाग़ भला किसलिए दिखाऊँ तुझे ।
गमे-फ़िराक़ अकेले में मिल कि बात तो हो
जो बस चले तो कहीं लेके भाग जाऊँ तुझे ।
सुना था दोस्त मुसीबत में काम आता है
वगरना ये मेरी जुरअत कि आज़माऊँ तुझे ।
मेरे भी दिल में कई बार ये ख़याल आया
तू सह सके न कभी इस क़दर सुनाऊँ तुझे ।
तू मेरी खैर न पूछे रज़ा है ये तेरी
बग़ैर पूछे मगर किसलिए बताऊँ तुझे ।
मुक़ीम सोज़ के दिल में है तू छुपा क्या है
ज़बाँ से कहके मैं दिल किसलिए दिखाऊँ तुझे ।
25-7-2020