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तोरा मन दर्पण कहलाये / भजन

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तोरा मन दर्पण कहलाये

भले, बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए


मन ही देवता मन ही इश्वर

मन से बड़ा न कोई

मन उजियारा ,जब जब फैले

जग उजियारा होए

इस उजाले दर्पण पर प्राणी, धूल ना जमने पाए

मोरा मन दर्पण कहलाये .......


सुख की कलियाँ, दुःख के कांटे

मन सब का आधार

मन से कोई बात छुपे न

मन के नैन हजार

जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये

मोरा मन दर्पण कहलाये ......