भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थोड़ा-सा / येव्गेनी येव्तुशेंको

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:07, 30 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= येव्गेनी येव्तुशेंको |अनुवादक=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थोड़ा-सा मेरा नसीब
             थोड़ा-सा मेरा सलीब
लटका थोड़ा-सा गले में
             थोड़ा-सा मन के क़रीब
थोड़ा-सा मर जा तू
             थोड़ा-सा फिर जीवित हो
फिर थोड़ा-सा मर जा तू
             जैसे सलीब पर कीलित हो
थोड़ा-सा तू प्यार करे
             थोड़ा-सा दुलार करे
थोड़ा-सा तू भूल जा उसको
             फिर थोड़ा-सा लाड़ करे
थोड़ा-सा नाराज़ हो पहले
             फिर थोड़ी-सी ग़लती मान
पहले थोड़ा दूर हो उससे
             फिर थोड़ी-सी कर पहचान
थोड़ा-सा तू रोकर देख
             दूर नहीं फिर प्रेम का सेंक
छिलके-सा उतरेगा फिर
             तेरे होंठों से संलेप
थोड़ा-सा अनुरागी हो तू
             थोड़ा-सा विरागी हो तू
इस राग-विराग के संग ही
             जीवन का सहभागी हो तू