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दलबदलू / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

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ताड़, खजूर, पौधे, तृण-
चले जा रहे हैं धरती से आकाश की ओर;
किरणें, वर्षा की बूँदें-
चली आ रही हैं आकाश से धरती की ओर;

सृष्टि में कब न हे
दलबदलू!