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दाग़िस्तानी ख़ातून और शाइर बेटा / रसूल हम्ज़ातव

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उसने जब बोलना न सीखा था
उसकी हर बात मैं समझती थी
अब वो शाइर बना है माने-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस कोई बात उसकी
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती