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दाबे दौरिया जातीं हो नदिया / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अरे हां इतैसे दधि लौ निकरी ग्वालिनिया
उइ आये उतै से भान-इतैसे दधि लै निकरी ग्वालिनिया

गोकुल मथुरा के बीच दही का
कीचा मचाय गा कान्हा

दाबे दौरिया जातीं हो नदिया
दाबे दौरिया जातीं लाल
ये यारन से बोलियाती
नदिया दाबे दौरिया जातीं लाल