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दिन का मन भर आया /राम शरण शर्मा 'मुंशी'

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साँझ हुई
राजगीर ने
तसला हटाया

बाबू ने
कोट का
बटन लगाया

दिन का
मन भर आया
दुबक चला साया

दुनिया
जैसे बाँझ हुई
साँझ हुई !