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दिल का कचरा / हिमानी

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 बेशर्म ख्वाब
बेअदब ख्वाहिशें
बगावती ख्याल
खाली से इस दिल में
कितना कचरा भरा है
हकीकी से रुबरु
हुक्म की तामील करता
हदों में रहता हर शख्स
इस कचरे से दूर
कितना साफ सुथरा दिखता है
आदतों में शुमार अदब
तहजीब से लदा
तरकीबों से अलहदा
ये हुस्न मुझे मगर
नागंवार लगता है
अब चाहती हूं इस जिस्म में भी नूर हो
शर्मों हया की इस चाशनी में
शरारत का तड़का
तवे सी रोटी के सुरूर में
तंदूरी नान सा गुरूर हो
दिल में थोड़ा कचरा होना भी
जीने के लिए जरूरी है।