भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल का क्या है वो किसी रूप में ढल जाएगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
Kavita Kosh से
218.248.67.35 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 19:04, 30 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक |संग्रह=गुफ़्तगू अवाम से है /...)
दिल का क्या है वो किसी रूप में ढल जाएगा
दिल तो मिट्टी के खिलौने से बहल जाएगा
आज ही डाल के आया था मैं पतलून नई
मैंने सोचा भी न था पाँव फिसल जाएगा
बस यही सोच के मैंने नहीं हारी हिम्मत
मैं अगर बैठा रहा वक़्त निकल जाएगा
लोग इस शहर के भजनों की लगा कर कैसेट
सोच लेते हैं कि माहौल बदल जाएगा
कोई पैदल ही मेरा साथ निभा दे शायद
कार वाला तो बहुत तेज़ निकल जाएगा.