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दिल दिया दुश्मन दिया सहरा दिया दरिया दिया / कांतिमोहन 'सोज़'

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दिल दिया दुश्मन दिया सहरा दिया दरिया दिया ।
ज़िन्दगी का शुक्रिया उसने मुझे क्या क्या दिया ।।

एक-दो की बात हो तो तुझसे शिकवा भी करूँ
ज़िन्दगी तूने मुझे हर गाम पे धोका दिया ।

शेर कहने के सलीक़े की मुझे परवा कहाँ
शायरी ने दर्द की तकसीम का ज़रिया दिया ।

ज़िन्दगी की कजअदाई का नज़ारा देखिए
ग़म दिया वो भी कभी पूरा कभी आधा दिया ।

ये भी है उसकी करीमी ये भी उसका लुत्फ़ है
ज़िन्दगी ने हँसके मेरे ज़ख़्म को सहला दिया ।

दो घडी की ज़िन्दगी थी खेल ये चलता रहा
यास लाई घेरकर उम्मीद ने भटका दिया ।।

सोज़ अब न तल्खी न पछतावे की परछाई कोई
सोचता हूं ज़िन्दगी ने जो दिया अच्छा दिया ।

20-9-2015