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दिल मिरा जब किसी से मिलता है / महावीर उत्तरांचली
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दिल मिरा जब किसी से मिलता है
तो लगे आप ही से मिलता है
लुत्फ़ वो अब कहीं नहीं मिलता
लुत्फ़ जो शा'इरी से मिलता है
दुश्मनी का भी मान रख लेना
जज़्बा ये दोस्ती से मिलता है
खेल यारो! नसीब का ही है
प्यार भी तो उसी से मिलता है
है "महावीर" जांनिसारी क्या
जज़्बा ये आशिक़ी से मिलता है