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दिल्ली मैट्रो पाँच / रजनी अनुरागी

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पाँच

पर ड्राईवर देखता है बस आगे
दौड़कर पास आती पटरियों को

उसे क्या मालूम कि पीछे डिब्बे में
एक बच्चा बाहर घूमने की ज़िद कर रहा है
कोई बूढ़ा आदमी एक जवान से
सीट के लिए लड़ रहा है
सुबह-सुबह पति के झगड़े से आहत कोई औरत
आँखों में कुछ छिपा रही है
और कोई पति किसी दूसरी को देख कर
अपनी आँखें तर कर रहा है
कोई किसी के फोन का इंतज़ार कर रहा है
और कोई शोहदा किसी लड़की को छेड़ने का
भरपूर प्रयास कर रहा है

ड्राईवर को क्या मालूम
कि उसकी पीठ पीछे क्या-क्या हो रहा है
उसे तो सबकी जान की परवाह है
इसलिए वह करता जाता है सिग्नल्स को फालो
इसलिए वह देखता है लगातर
आगे, और आगे