भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुःख / हरीश करमचंदाणी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:10, 25 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>दुःख आदमी को तोड़ता हैं दुःख पहचान कराता दोस्त दुश्मन की दुःख …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुःख आदमी को तोड़ता हैं
दुःख पहचान कराता दोस्त दुश्मन की
दुःख गढ़ता परिभाषा सुख की
दुःख बनाता आदमी को आदमी