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दुई टुक्रा / भूपी शेरचन

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१.जहिले पनि भर्खरकी किशोरीजस्ती
साँच्चिकै तिमी हिमालकी छोरीजस्ती
कुन्नि के छ तिमीमा, जो अरुमा छैन
कि तिमीलाई जति पाए पनि थोरैजस्ती

२.एकलास तिम्रो बाटोमा रमाइलो साथ दिन सक्तिनँ म
तिमी थाकेर ढल्दा सहाराको हात दिन सत्तिनँ म
बर्सनै नपाई डाँडा काटेको बादल मेरो यौवन
चाहेर पनि ए ओइलाउँदी कली! वर्षाद दिन सत्तिनँ म।