भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुकाळ / सांवर दइया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:43, 25 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बुझ्योड़ा चूल्हा
ऊंधी हांडिया
थाली थाळियां
घरां में
मिनख-लुगाई-टाबर करै अकासिया
               टेर देवै नाड़
पण
गांव रै बारै
नित गोठ करै
गिरज अर काग
रूच-रूच जीमै
नाचै-गावै
उच्छब मनावै ।