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दुखी हरगिज़ नहीं हूँ मैं / वार्सन शियर / राजेश चन्द्र

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दुखी हरगिज़ नहीं हूँ मैं,
लेकिन वे लड़के
जो तलाश में रहते हैं
दुखी लड़कियों की
हमेशा ढूँढ़ ही लेते हैं मुझको ।

लड़की नहीं हूँ अब मैं बिल्कुल भी
और दुखी तो हरगिज़ नहीं हूँ मैं ।

तुम देखना चाहते हो मुझे
एक कारुणिक पृष्ठभूमि के साथ
ताकि स्वयं दिखाई दे सको
रोशन और प्रबुद्ध,
और देखने वाले कह सकें कि
‘वाह, क्या वह हद से ज़्यादा दिलेर नहीं है
कि प्यार करता है एक ऐसी लड़की से
जो साफ़ तौर पर इस क़दर दुखी है ?‘

तुम सोचते हो कि बन जाऊँगी मैं
रात का अन्धियाला आसमान
ताकि बन सको एक सितारा तुम ?

मैं
निगल जाऊँगी
तुम्हें पूरा का पूरा ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र