भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देखते मनवा लोभी / प्रकाश उदय

Kavita Kosh से
Jalaj Mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:26, 20 जून 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हती-हती फुलवा हतना सोभे
बड़का कतना सोभी, फुलगोभी
देखते मनवा लोभी, फुलगोभी

उजर-उजर फर भर-भर झाबा
जइसे हो नेतवन के साभा
जिन्‍हनी के कुरुता पैजामा
धँगचि के धोअलस धोबी, फुलगोभी

भुँजले अहा, छेंवकले आहा
छनला पर त आहा-आहा
बाकिर तनी सम्‍हर के भाया
पिलुओ कतहूँ होखी, फुलगोभी

जे तीयन आलू के मेंजन
परवर- गोभी- बैगन- वैगन
प्रभु कभु कम करबऽ जो भेजन
तहरो जिभिया टोकी, फूलगोभी
देखते मनवा लोभी, फुलगोभी