भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो स्त्रियाँ थीं / कात्यायनी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:08, 22 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कात्यायनी |संग्रह=जादू नहीं कविता / कात्यायनी }} ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो स्त्रियाँ थीं
एक ने प्यार किया इसी देशकाल में
सच्ची-मुच्ची का ।
वह इसी देशकाल की
होकर रही ।
दूसरी ने सोचा देशकाल के बारे में
प्यार न कर सकी
पर उसने लिखीं
दुनिया की सबसे अच्छी प्रेम कविताएँ ।

रचनाकाल : जुलाई 1997