भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरा का अँधेरा भगाओ तो जानें / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 23 अगस्त 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरा का अँधेरा भगाओ तो जानें
दिलों में उजाला बढ़ाओ तो जानें।

बहुत दूर से वो महल जगमगाता
दिये को किरासिन जुटाओ तो जानें।

समन्दर की तारीफ़ भी कोई तारीफ़
नहर सूखने से बचाओ तो जानें।

विधायक बदलने से कुछ भी न होगा
सियासत बदलकर दिखाओ तो जानें।

ज़मीं को जहां तक भी चाहो उठा लो
गगन एक रत्ती झुकाओ तो जानें।