भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धर्म / नीता पोरवाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:38, 21 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीता पोरवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गूँज सकता था
कण-कण में
मेरे जिस वाद्य यंत्र से
सुरीला संगीत
हत भाग!
आज फूट रहा हृदयभेदी प्रलाप
हर ओर
बहरा करता संवेदनाओं को
अवरुद्ध करता मार्ग रौशनियों का
मगन हो
तुम मद में चूर हो
आज रचते बेसुरी कर्कश धुनों को
मेरे तानपूरे पर
पर देखो
मैं रक्त रंजित कर रहा हूँ
तुम्हारी उँगलियों के साथ
समूचे समय को भी