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नये वर्ष के मंगल क्षण हों / ईश्वर करुण

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नये वर्ष के मंगल क्षण हों ,नयी नयी हो बातें
नर्तन करते सुप्रभात हों ,गुन गुन करती रातें

आँख- आँख में सुन्दर सपने ,अधर- अधर 'अमरित' हो
हाथों में हो शस्त्र भले पर ,मन में 'राम चरित' हो
आयुधवाले हाथ सूत तकली पर भी कुछ कातें

शक्ति आणविक भक्ति मानविक व्यक्ति-व्यक्ति पावन हो
बच्चा -बच्चा ध्रुव -नचिकेता , हर नारी चंदन हो
विदुर- नीति अपनायें ,छोड़ें महाभारती घातें

कहर न हो लहरों का धरती नाचे मगन गगन में
शहर- गाँव खुश रहें ,रहे न ज़हर किसी के मन में
सूखे रहें न वृक्ष और भूखी रहें न आँतें