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नर्म अहसासों के साथ क्रान्ति की आवाज / मजाज़ लखनवी
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Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:53, 21 मार्च 2012 का अवतरण
(1)
इश्क का जौके-नजारा1 मुफ्त को बदनाम है,
हुस्न खुद बेताब है जलवा दिखाने के लिए।
(2)
कहते हैं मौत से बदतर है इन्तिजार,
मेरी तमाम उम्र कटी इन्तिजार में।
(3)
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।
(4)
खिजां के लूट से बर्बादिए-चमन तो हुई,
यकीन आमादे -फस्ले-बहार2 कम न हुआ।
(5)
मुझको यह आरजू है वह उठाएं नकाब3 खुद,
उनकी यह इल्तिजा4 तकाजा5 करे कोई।
1.जौके-नजारा - देखने का शौक 2.आमादे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन 3.नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट 4.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त 5.तकाजा - माँग, फर्माइश