भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नववर्ष पर्व पर / शमशाद इलाही अंसारी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:36, 21 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशाद इलाही अंसारी |संग्रह= }} Category: कविता <poem> शुभ, ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शुभ, सौम्य, शीतल
भविष्य की परतें
खुलें एक-एक कर|

कूट कूट कर भर लावें
सौहाद्र का मेघ
बरसावें तुम पर|

आशाओं, सफ़लताओं का
जीवट, जीवन दीपक
जलता रहे सदा
साहस भर दे तुममें इतना
क्षीण हों सभी दुर्बलतायें
अनन्त, उत्साहपूर्ण, उत्सवमय हो
सदैव प्रत्येक जीवन-पल तुम्हारा|


रचनाकाल : 17.12.1988