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नाइट मूवमेण्ट : न्यूयार्क / कार्ल सैण्डबर्ग / राधारमण अग्रवाल

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रात उतरती है
समुन्दर पार से आती हवाएँ
भर लेती हैं शहर को अँजुरी में ।

धूल अँटी गलियाँ और चौबारे
लहरों से खेलती चिड़िया
पुकारती है शहर की रोशनी को
रोशनी लिख देती है शहर के नाम को ।

मकानों के पीछे छिपे आकाश में
खड़े हैं नि:शब्द रेल के डिब्बे
पटरियों पर
जाएँगे थोड़ी देर में
उस शहर के लिए जहाँ लोग ज़िन्दा हैं
रोटियों के लिए
इन्तज़ार करते हैं कभी न आने वाली
चिट्ठियों का ।

दिन काफ़ी नहीं है
जीता है शहर रात को भी ।
रात के सन्नाटे में
गूँजती है एक गायक की
करुण आवाज़ ।

ढूँढ़ते हैं लोग रात में
ख़ास नम्बरों वाले मकान
छिपकर अन्धेरे में ।

समुन्दर पार से आने वाली
हवाएँ
भरे रहती हैं
शहर को अँजुरी में
भोर होने तक ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : राधारमण अग्रवाल